Shayari शायरी (شاعری)
Urdu Poetry, शायरी में संस्कृत, फ़ारसी, अरबी और तुर्की भाषाओ के मूल शब्दों का मिश्रित प्रयोग किया जाता है। शायरी (Shayari) लिखने वाले कवि को शायर या सुख़नवर कहा जाता है। शेर-ओ-शायरी या सुख़न भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित एक कविता का रूप हैं जिसमें उर्दू-हिन्दी भाषाओँ में कविताएँ लिखी जाती हैं।
Words related to Urdu Poetry ( शायरी से सम्बन्धित शब्द ) :
शेर-ओ-शायरी के सम्बन्ध में कुछ शब्द भारतीय उपमहाद्वीप और ईरान में प्रचलित हैं :-
शायर – शायरी (Shayari) लिखने वाले कवि को शायर या सुख़नवर कहा जाता है।
शेर (Not Lion) – यह दो जुमलों (पंक्तियों) से बना कविता का एक अंश होता है जो एक-साथ मिलकर कविता को भाव या अर्थ देती हैं, उदाहरण के लिए ‘बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे’ दो जुमलों का एक शेर है (अर्थ: ‘दुनिया मेरे लिए बच्चों का खेल है, रात-दिन यही तमाशा देखता हूँ’)
जुमला – यह ‘पंक्ति’ का एक अन्य नाम है, उदाहरण के लिए ‘बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे ‘ एक जुमला है | (अर्थ: ‘मेरे लिए दुनिया एक बच्चों का खेल/बाज़ी है’)
मिसरा – शायरी की पंक्तियों / जुमलों के लिए यह भी एक नाम है |
मतला – किसी ग़ज़ल के पहले शेर को मतला कहते हैं।
मक़ता – किसी ग़ज़ल के अंतिम शेर को मक़ता कहते हैं और शायर कोशिश करते हैं कि यह शेर सब से ज्यादा भावुक और प्रभावशाली हो, इसीलिए कोई ग़ज़ल अंत करते हुए शायर अक्सर कहते हैं ‘मक़ता अर्ज़ है’ (यानि, ‘ध्यान दीजिये, ग़ज़ल का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण शेर पढ़ने वाला हूँ’)
बैतत – ग़ज़ल के शेर को अक्सर बैत भी कहते हैं और अक्सर यह शब्द किसी ग़ज़ल के पहले शेर के लिए प्रयोग होता है जिसमें दोनों जुमलों कि तुकबंदी होना अनिवार्य है, जैसे कि ‘तुम भी ख़फ़ा हो लोग भी बरहम हैं दोस्तों, अब हो चला यक़ीन है बुरे हम हैं दोस्तों’ (‘बरहम’ यानि ‘परेशान’)
फ़र्द – ग़ज़ल के पहले शेर के बाद वाले शेर, जिनमें जुमलों में तुकबंदी करना आवश्यक नहीं है, जैसे कि ‘अपने सिवा हमारे न होने का ग़म किसे, अपनी तलाश में तो हमीं-हम हैं दोस्तों’
क़सीदा – किसी की प्रशंसा के लिए लिखी गई कविता को क़सीदा कहते हैं; पुराने ज़माने में कवियों का गुज़ारा किसी राजा-महाराजा के दरबार से जुड़े होने से चला करता था और उनके लिए उस राजा की प्रशंसा में क़सीदे लिखना ज़रूरी हुआ करता था।
तख़ल्लुस या तकिया क़लाम – यह शायर का अपने लिए चुना हुआ नाम होता है जो अक्सर ग़ज़ल के अंतिम शेर (मक़ते) में शामिल कर लिया जाता है, ठीक वैसे जैसे कोई चित्रकार अपने बनाए चित्र पर अपना नाम दर्ज कर देता है; उदाहरण: के लिए उत्तर प्रदेश के शहर बाराबंकी के मुहम्मद हैदर ख़ान के अपना तख़ल्लुस ‘ख़ुमार बाराबंकवी’ रखा हुआ था और यह उनकी ग़ज़लों के मक़तों में देखा जा सकता है, मसलन ‘ख़ुमार-ए-बलानोश्त, तू और तौबा? तुझे ज़ाहिदों की नज़र लग गई है’ (अर्थ: शराब पीने (नोश) करने वाले ख़ुमार, तूने शराब से तौबा कर ली? ज़रूर तुझे तेरी मस्ती से जलने वाले मौलवियों (ज़ाहिदों) की नज़र लग गई है’)
Read More: The Friendship Day 2022 | Love and Adventure
Common Shayari in Use (कुछ लोकप्रीय शेर व गज़ल)
Fall In Love With Urdu Poetry SHAYARI : भारतीय उपमहाद्वीप में कुछ लोकप्रीय शेर जो लोक-संस्कृति में एक सूत्रवाक्य की तरह शामिल हुए है। उदाहरण के लिए:
इब्तेदा-ए-इश्क़ है, रोता है क्या
‘आगे-आगे देखिये होता है क्या’।
अर्थ है:- ‘अभी तो मुश्किल काम शुरू हुआ है, अभी और कठिनाई आएगी, अभी से क्या रोना?’
ख़ाक़ हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होने तक
‘हमने माना के तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन’।
अर्थ है:- इसमें प्रेमी अपनी प्रेमिका से कह रहा है कि वह जानता है कि उसकी व्याकुलता के बारे में सुनकर वो बिना विलम्ब (तग़ाफ़ुल) किये आ जाएगी; लेकिन डर यह है कि उसका दुख इतना भारी है कि वह प्रेमिका को ख़बर मिलने से पहले ही मर जाएगा’।
यह भारतीय संसद में एक सांसद ने भूतपूर्व प्रधान मंत्री पी. वी. नरसिंहराव से अपने क्षेत्र के लिए मदद मांगते हुए कहा था। नरसिंहराव का उत्तर था- ” घबराइये नहीं! हम आपको ख़ाक़ नहीं होने देंगे।”
ख़ुदी को कर बुलन्द इतना
ख़ुदा बन्दे से ख़ुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है’।
अर्थ है :- यह इक़बाल का शेर है जिसमें कहा गया है कि ‘इतने लायक़ बनो कि जीवन के हर मोड़ पर भगवान तुम्हारा भाग्य लिखते हुए तुम्ही से तुम्हारी जो मर्ज़ी हो पूछ कर लिख दे’।
फैज़ अहमद फैज़ के एक शेर में :-
कहा जाता है (चलन में है)………..और भी ग़म हैं ज़माने में…..
पूरा शेर है……. ‘मुझ से पहली सी मुहब्बत मेरे महबूब न मांग और भी दुख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा’।
अर्थ है :- कि दुनिया में इतनी मुश्किलें-तकलीफ़ें हैं कि आदमी हर समय आनंद देने वाली चीज़ों पर ध्यान नहीं दे सकता।
ग़ज़ल:
कहा जाता है (चलन में है)………..तुम्हें याद हो के न याद हो……..
पूरा शेर है…….’वो जो हम में तुम में क़रार था, तुम्हें याद हो के न याद हो‘ |
……… ‘मुझे सब है याद ज़रा-ज़रा, तुम्हें याद हो के न याद हो’।
अर्थ प्रयोग में :- यह ऐसे दोस्तों-प्रेमियों को शर्मिंदा करने के लिए कहा जाता है जो किसी के साथ अपना पुराना सम्बन्ध भूल गए हों।
FAQ
शायर ( Shayar ) किसे कहते है ?
A poet who writes poetry is called Shayar or Sukhnavar, Shayari or Sukhan is a form of poetry (a mixture of root words of Sanskrit, Persian, Arabic and Turkish languages is used).
What is Sher ( शेर ) OR Sher-o-shayari ?
यह दो जुमलों (पंक्तियों) से बना कविता का एक अंश होता है जो एक-साथ मिलकर कविता को भाव या अर्थ देती हैं |