Na ho Saath koi | न हो साथ कोई – Inspirational Poem in Hindi

Na ho Saath koi Akele Badho Tum | न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम

न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम,

सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी ।

सदा जो जगाये बिना ही जगा है,

अँधेरा उसे देखकर ही भगा है ।

वही बीज पनपा पनपना जिसे था,

घुना क्या किसी के उगाये उगा है ।

अगर उग सको तो उगो सूर्य से तुम,

प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी ॥

सही राह को छोड़कर जो मुड़े,

वही देखकर दूसरों को कुढ़े हैं ।

बिना पंख तौले उड़े जो गगन में,

न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े हैं ।

अगर बन सको तो पखेरु बनो तुम,

प्रवरता तुम्हारे चरण चूम लेगी ॥

न जो बर्फ की आँधियों से लड़े हैं,

कभी पग न उसके शिखर पर पड़े हैं ।

जिन्हें लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से,

वही जी चुराकर तरसते खड़े हैं ।

अगर जी सको तो जियो जूझकर तुम,

अमरता तुम्हारे चरण चूम लेगी ॥

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